शनिवार, जनवरी 6

वीरो के प्रति श्रद्धा

एक बार प्रिंस ऑफ़ वेल्स एडवर्ड अष्टम प्रथम विश्वयुद्ध में घायल कैदियो कों देखने गए | एक निजी अस्पताल में उनका इलाज हो रहा था | वहा तैनात सैनिक अधिकारी और अस्पताल के अधिकारियो ने घायल सैनिको से उनकी भेंट करवाई | अधिकारियो ने जब कार्यक्रम पूरा होने की बात कही, तब प्रिंस ने कहा – ‘आपने तो कहा था की 36 सैनिक घायल है मगर यहाँ तो 29 ही दिखाए दिए | बाकि सैनिक कहा हैं ?’

अधिकारियो ने कहा – ‘सर अन्य सैनिक इसी अस्पताल में भर्ती हैं, लेकिन उनकी हालत नाजुक हैं | उनके शरीर पर जगह जगह चोटे आई हुई हैं| आप उन्हें देखे वे ऐसी स्थिति में नहीं हैं |’


reverence for real heroes


अधिकारियो की बात सुनकर प्रिंस बोले – ‘जिन सैनिको ने देश क लिए इतना बड़ा बलिदान दिया, क्या मै उनसे सिर्फ इसीलिए नहीं मिलू की वे बुरी तरह घायल हैं ?’ उनसे तो मुझे सबसे पहले मुलाकात करनी चाहिए थी |

अधिकारियो के पास कोई दूसरा विकल्प ना था | उन्हें प्रिंस कों घायलों से मिलाने ले जाना पड़ा | प्रिंस ने सबसे बातचीत कर उनका दुःख बांटने की कोशिश की | उस विभाग का दौरा खत्म हुआ तो, अधिकारी उन्हें अस्पताल से बाहर ले आए | प्रिंस अपनी गाड़ी में बैठने ही वाले थे की अचानक उन्होंने पुछा – ‘यह तो 6 ही सैनिक हुए सांतवा कहा हैं ?’

एक वरिष्ठ अधिकारी बोला – ‘सर उस सैनिक की हालत बहुत ख़राब हैं | उसका पूरा चेहरा ख़राब हैं, सीना फट गया हैं, आप उसे देख न सकेंगे|’

‘मैं उसे मिले बगैर यहाँ से नहीं जाऊंगा |’ प्रिंस ने गाड़ी से उतरते हुए कहा |

अधिकारियो ने बहुत कहा की वह सैनिक ऐसी हालत में हैं की वह ना तो कुछ सुन सकता हैं, ना देख सकता हैं और ना ही कुछ बोल सकता हैं | प्रिंस फिर भी उससे मिलने गए | उन्होंने उसके हाथ पर हाथ रखा | जो बात वो मुंह से कहते उसे उन्होंने अपने स्पर्श से कहा | वीरो के प्रति अपनी श्रद्धा दिखाते हुए उन्होंने उसके ज़ख्मी हाथ कों चूमा और गीली आँखे लिए हुए बाहर आ गए |


Tags: Reverence for Real Heroes, Respect for Soldiers, Army Soldiers, True Heroes
Location: India